देश-विदेश
में बसे भारतीय नागरिकों से मिले तीन हजार के आसपास नोमिनेशन फॉर्म्स, इतनी बड़ी
संख्या में से मात्र तेईस महिलाओं का चयन, तेरह अलग-अलग वर्गों में सम्मानित करने
के लिए. स्पष्ट है कि इन महिलाओं का अपने-अपने क्षेत्र में सराहनीय, अनुकरणीय
योगदान रहा होगा. गुजरात के गांधीनगर में नौ मार्च को संपन्न 9th
Udgam Women’s Achiever’s Awards समारोह में Golden
Katar Army Wives Welfare Association (AWWA) की चेयरपर्सन डॉ० सोनिया पुरी, गुजरात एवं राजस्थान के British
Deputy High Commissioner श्री जियोफ वैन द्वारा इन विशिष्ठ महिलाओं
को सम्मानित किया गया. यह सम्मान समारोह गुजरात में पिछले बीस वर्षों से सक्रिय
संस्था उदगम द्वारा आयोजित किया गया. उदगम विगत आठ वर्षों से लगातार अपने
क्षेत्र में सक्रिय विशिष्ठ महिलाओं को सम्मानित करती आ रही है. इन सम्मानित
महिलाओं में युवा चेहरा दिव्या गुप्ता सबके लिए प्रेरणास्त्रोत के रूप विशेष
उल्लेखनीय रहा. अपने इस सम्मान को दिव्या ने सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं, विशेष रूप से बेटियों को समर्पित करते हुए कहा कि इससे लड़कियों को सामाजिक
क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी. दिव्या गुप्ता मात्र चौदह वर्ष की उम्र
से अपने गृह जनपद जालौन के नगर उरई में गहोई वैश्य मंच के साथ जुड़कर
सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हो गई थी. इस मंच के द्वारा दिव्या ने गरीब किन्तु
होनहार बच्चों की शिक्षा के लिए धनराशि तथा अन्य आवश्यक मदद जुटाने का कार्य किया.
इन बच्चों में से ग्यारह बच्चे दिव्या की लगन, मेहनत और प्रेरणा से इंजीनियरिंग,
अध्यापन के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने में सफल रहे. बचपन से ही सामाजिक
क्षेत्र के प्रति दिव्या की सजगता, जागरूकता कम नहीं हुई वरन आयु बढ़ने के साथ-साथ
यह संवेदनशीलता और बढ़ती गई.
दिव्या
अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारित कर चुकी थी. खुद को समाजसेवा के लिए समर्पित करने
का मन बना चुकी दिव्या ने अपनी शिक्षा को भी सामाजिक क्षेत्र से जोड़ते हुए सामाजिक
कार्य में परास्नातक डिग्री हासिल की. अध्ययन करते-करते उन्होंने अपने आपको पूरी
तरह से समाजसेवा के लिए संकल्पित कर दिया था. अपने विद्यार्थी जीवन में भी उनके
द्वारा लगातार समाजसेवा में सक्रियता देखने को मिलती थी. एक तरफ दिव्या का अध्ययन
चल रहा था, दूसरी तरफ उनके सामाजिक कार्य भी निर्बाध रूप से चल रहे थे. जहाँ भी
उन्हें अपने होने का एहसास होता अगले क्षण वे वहां सबके बीच खुद को उपस्थित पाती.
अपने साथियों में भी दिव्या इस कारण लोकप्रिय रही कि वह निस्वार्थ भावना से सबके
कष्टों का निवारण करने चौबीस घंटे तत्पर रहती. समाजसेवा का जूनून दिव्या के सिर चढ़
कर बोल रहा था ऐसे में वे आर्थिक संसाधनों की परवाह किये बिना बस लोगों की सहायता
में लगी हुई थीं. स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला, बाल-विकास, पेयजल, आपदा नियंत्रण,
पर्यावरण सुरक्षा आदि बिन्दुओं पर दिव्या लगातार जमीनी काम करती रहीं.
वर्ष 2003-04
से लेकर वर्ष 2015-16 तक का समय दिव्या के
सामाजिक सक्रिय होने की परीक्षा लेता रहा. इस दौरान प्राकृतिक आपदाएँ पूरे देश में
अपना कहर ढाने में लगी थीं और दिव्या इन आपदाओं और नागरिकों के बीच सुरक्षा कवच बन
खड़ी रही. 2004 की असम की बाढ़
हो, 2005 की सुनामी की तबाही
हो, इसी वर्ष गुजरात में बाढ़ का प्रकोप रहा हो या कश्मीर में भूकंप का
आना रहा हो सभी जगह दिव्या निसंकोच, निर्भीकता से लोगों की मदद करने को तत्पर रही.
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में बाढ़ से परेशान लोगों के बीच (2007),
बिहार की बाढ़ से घिरे लोगों की सहायता (2007),
बंगाल के चक्रवात (2009) में लगभग 4500
परिवारों के मध्य उनकी मदद को लगातार बने रहना, उत्तराखंड की बाढ़
की भीषण तबाही (2013) में लोगों को मदद, उनका
पुनर्वास, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सम्बन्धी व्यवस्था के साथ-साथ उनको जागरूक
करने के कई-कई आयामों पर दिव्या एकसाथ काम कर रही थी. कुछ इसी तरह का उनका कार्य 2014
में कश्मीर में आई बाढ़ के समय देखने को
मिला. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, असम, बिहार, उत्तराखंड,
राजस्थान, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल,
महाराष्ट्र आदि राज्यों के बाढ़, भूकंप, सुनामी, चक्रवात आदि प्राकृतिक आपदाओं से
पीड़ित देशवासियों ने दिव्या का सहयोग तो प्राप्त किया ही इसके अलावा जब वर्ष 2015
में नेपाल जबरदस्त भूकंप झटकों से कराह
उठा तो वहाँ के भूकम्प-पीड़ित नागरिकों की मदद को दिव्या आगे आई. वे काफी लम्बे समय
तक अपने अनुभव का लाभ नेपाल के नागरिकों, प्रशासन को प्रदान करती रहीं.
सामाजिक
क्षेत्र में वास्तविक कार्य करने वाली दिव्या खुद को मीडिया से दूर रखने का भरसक
प्रयास करती हैं. उनका कहना है कि मजबूर लोगों की, असहाय लोगों की, जरूरतमंद
लोगों की मदद करना, उनको सहायता देना, उनकी समस्या का समाधान करना ही उनका
वास्तविक उद्देश्य है. कई बार मिलती प्रसिद्धि वास्तविक कार्य करने में अवरोधक का
कार्य करने लगती है. इस तरह की पावन सोच के साथ दिव्या समाजसेवा में
सक्रिय रहने के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने का भी कार्य करती रहती हैं. इस बारे
में उनका कहना है कि लोगों की सहायता करने के साथ-साथ लोगों को इसके लिए भी
जागरूक किया जाये कि भविष्य में किसी तरह का संकट आने पर, समस्या आने पर वे किसी
दूसरे का इंतजार न करें वरन अपनी मदद करने के साथ-साथ अन्य दूसरों की मदद कर सकें.
जिस-जिस क्षेत्र में दिव्या सक्रिय हैं उनके अनुभवों के आधार पर लोगों को जागरूक
कर रही हैं. इस कार्य में सरकारी, गैर-सरकारी, स्थानीय नागरिकों, शैक्षणिक
संस्थानों आदि के सहयोग से दस हजार से ज्यादा लोगों को वे आकस्मिक आपदाओं से,
समस्याओं से निपटने के सन्दर्भ में प्रशिक्षत कर चुकी हैं.
दिव्या
का मानना है कि लोगों में समाजसेवा करने का भाव होता है किन्तु उसे सही दिशा
न मिल पाने के कारण ऐसे लोग या तो मायूस हो जाते हैं अथवा सामाजिक क्षेत्र के
प्रति अनभिज्ञ बने रहते हैं. समाज के लोगों में, विशेष रूप से युवाओं में
समाजसेवा के प्रति और सजगता लाने की सोच के साथ, उनमें सकारात्मकता जगाने के
उद्देश्य से दिव्या ने वर्ष 2016 में Volunteer Indians (www.volunteerindians.org) नामक वेबसाइट का निर्माण किया. इसके
माध्यम से उनका उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों को सामाजिक कार्यों से
जोड़ना, उचित लोगों तक सामाजिकता के अवसर उपलब्ध करवाना, वास्तविक लोगों तक सार्थक
मदद पहुँचाना रहा है. पिछले एक वर्ष में दिव्या इस वेबसाइट के माध्यम से लगभग चार
सौ स्वयंसेवियों को एक मंच पर ला चुकी हैं जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सत्रह
हजार घंटों के आसपास का समय समाज को दे चुके हैं. यह मंच न केवल गुजरात में बल्कि महाराष्ट्र,
पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली आदि में सक्रिय है. इस मंच के
द्वारा ऐसे स्वयंसेवियों द्वारा वर्सोवा बीच की सफाई, फुटपाथ स्कूल का सञ्चालन,
सड़क किनारे रह रहे बच्चों की शिक्षा और भोजन की व्यवस्था, स्वास्थ्य जागरूकता,
यातायात सञ्चालन में सहयोग, जरूरतमंद लोगों को वस्त्र-वितरण आदि कार्य किये गए.
वर्तमान
में दिव्या यूनिसेफ के साथ मिलकर गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ
भारत मिशन की योजना, उसके निर्देशन, निरीक्षण आदि का कार्य कर रही हैं. अपनी
भावी योजनाओं को साझा करते हुए दिव्या ने बताया कि यथाशीघ्र उनके द्वारा
ग्रामीण महिलाओं के लिए एक बड़ा प्रोजेक्ट लाने का विचार है. इसके अंतर्गत ग्रामीण
महिलाओं को कूड़ा-कचरा, अपशिष्ट आदि के प्रबंधन से आमदनी के प्रति प्रशिक्षित किया
जायेगा. दिव्या ने अपने सामाजिक कार्यों की प्रतिबद्धता को निखारने में
ऑक्सफेम, वाटर ऐड, एक्शन ऐड, यूनिसेफ, आदि के साथ-साथ विभिन्न राज्य सरकारों के
अनेक विभागों के सहयोग को धन्यवाद दिया. उनका कहना था कि इनके द्वारा समय-समय
पर कार्य करने के अवसर ने उनके भीतर समाजसेवा का जज्बा बनाये रखा और उन्हें समाज
के लोगों की सहायता करने को प्रेरित किया.